देश में खेलों में हर तरह से हावी है चीन, भारतीय कंपनियों पर भी है प्रभाव

 

 

नई दिल्‍ली. लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव के बाद देशभर में चीनी कंपनियों का बहिष्‍कार किया जा रहा है. इसका असर खेल पर भी नजर आ रहा है. देश में खेल टूर्नामेंट, खेल उपकरणों, एप हर किसी में चीनी कंपनी का हाथ है. चीनी बाजार क्रिकेट में काफी अधिक फैला हुआ है. आईपीएल 2020 (IPL 2020), टीम इंडिया, आईसीसी (icc), एप हर कहीं चीनी कंपनियां हावी है. हालांकि आईपीएल की मुख्‍य प्रायोजक के रूप में बीसीसीआई और वीवो के बीच करार खत्‍म हो गया है और अब ड्रीम इलेवन आईपीएल के इस सीजन की टाइटल स्‍पॉन्‍सर बन गई है. मगर इसके बावजूद अधिकतर जगहों पर इसका प्रभाव है.

बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रुपये मिलते थे जिसके साथ उसका करार 2022 में खत्म होने वाला था. पिछलें 10 साल में आईपीएल की टाइटल स्‍पॉन्‍सरशिप वैल्‍यू 1000 हजार प्रतिशत तक बढ़ी है. बीसीसीआई (BCCI) और वीवो के बीच 2022 तक के लिए 2199 करोड़ रुपये का करार हुआ था. यानी वीवो से बीसीसीआई को हर साल 440 करोड़ मिलते थे. अगर चीनी कंपनियों की भारत में खेलों में भागीदारी की बात करें तो करीब 50 फीसदी स्‍पॉन्‍सरशिप इन्‍हीं के पास हैं.

क्रिकेट में चीनी कंपनियों का प्रभाव
1. टीम इंडिया (Team India) की जर्सी की मौजूदा स्‍पॉन्‍सर बायजू है. इससे पहले टीम इंडिया की जर्सी पर ओप्‍पो का नाम नजर आता था. बीसीसीआई और ओप्‍पो के बीच 2017 में 1 हजार 79 करोड़ का पांच साल तक के लिए करार हुआ था, मगर ओप्‍पो ने पिछले साल ही यह स्‍पॉन्‍सरशिप भारतीय कंपनी बायजू को ट्रांसफर कर दी. मगर बायजू की बात करें तो इसमें भी चीनी कंपनी टेंसेंट का पैसा लगा है.
2. ड्रीम इलेवन एप भी आईपीएल की आधिकारिक पार्टनर है और अब तो टाइटल स्‍पॉन्‍सर भी बन गई है.  यही नहीं स्विगी भी इसकी एसोसिएट स्‍पॉन्‍सर है. दोनों में चीनी कंपनी का ही निवेश है. यहां तक कि ड्रीम इलेवन में भी 10 प्रतिशत से कम चीन के हिस्‍सेदारी है.

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